Loneliness in Pregnancy: एक शोध के अनुसार यह पता चला है कि जो लोग गर्भवती महिलाओ के साथ लगातार संवाद करते रहने से जैसे कि प्रसव से पहले होने वाली कक्षाओं या परामर्शों में और नई मदर्स के सर्वांगीण विकास और स्वस्थता को बढ़ावा देने की बात आदि करने से उनके मानसिक स्वास्थ्य पर अकेलेपन के नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है। यह कार्य चिकित्सा सहायता से भी अधिक फायदेमंद सिद्ध हो सकती है।
हमने पाया कि अकेलापन गर्भवती महिलाओं के लिए अवसाद का कारण बन रहा था। अवसाद और अकेलापन आपस में जुड़े होते हैं।
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बच्चे के जन्म परिवर्तन और उथल-पुथल का समय होता है। शोध से पता चलता है कि गर्भावस्था के दौरान अकेलापन नई माताओं के लिए मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए उत्तरदायी होता है।
गर्भावस्था के दौरान अवसाद एक आम समस्या है। जन्म के बाद पहले तीन महीनों के दौरान हर 6 गर्भवती महिलाओं में से 5 महिलाओं को प्रभावित करता है। जिसकी वजह से उनके और बच्चे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
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प्रसव काल के दौरान अवसाद बढ़ने के पीछे शोधकर्ताओं ने लांछन और घटते सामाजिक समर्थन के कारण को बताया। प्रसव कालीन अवसाद के अनुभव वाली अन्य माताओं से समर्थन मिलना भी मददगार साबित हो सकता है। इन सब तरीको के माध्यम से प्रसव कालीन मानसिक अस्वस्थता के दौरान पैदा हुए अवसाद के प्रभाव को कम करने का एक महत्वपूर्ण तरीका हो सकता है।
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