शरीर में प्रोटीन की कमी कैसे पहचाने (How to know protein deficiency in Body):
अच्छी सेहत के लिए संतुलित आहार और कसरत दोनों ही जरुरी है। संतुलित आहार (Balanced Diet) में आपको फाइबर से भरपूर कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) से लेकर प्रोटीन तक मिलना जरूरी है।
अच्छी सेहत के चक्कर में लोग एक्सरसाइज तो करते हैं, लेकिन आहार में प्रोटीन की मात्रा की ध्यान नहीं होने की वजह से कम लेते है अथवा उनको अंदाज़ा ही नहीं रहता की आहार में प्रोटीन की मात्रा कम हो गयी है। प्रोटीन की इस कमी के कारण आपके शरीर में कई प्रकार की दिक्कते और परेशानियां उत्पन्न होने लगती हैं। तो ऐसी अवस्था में आदमी परेशान हो जाता है और डॉक्टर्स के चक्कर काटता है। लेकिन आज हम आपको बताते है की आप भी अपने आप शरीर की जरूरतों जैसे प्रोटीन की कमी और उसकी जरूरत के बारे में कैसे पहचान सकते है।
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शरीर में प्रोटीन का कार्य ?
प्रोटीन एक प्रकार का लघु पोषक तत्व (Macro Nutrient) है, जो कई सारे अमीनो एसिड से मिलकर बना होता है। प्रोटीन हमारी बॉडी के लिए बेहद जरुरी होता है, जो शरीर में मांसपेशियों के निर्माण और विकास का कार्य करता है इसीलिए इसे मांसपेशियों (Muscles) का बिल्डिंग ब्लॉक्स (Building Blocks) भी कहा जाता है। इसके अलावा प्रोटीन हमारे शरीर को ताकत देने के साथ साथ मांसपेशियों की मरम्मत और रखरखाव, हार्मोन्स का नियंत्रण और मेटाबालिज्म में वृद्धि का कार्य भी करता हैं।
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कमजोरी और थकान महसूस करना
यदि आपके आहार में प्रोटीन की कमी है तो आप को कमजोरी और थकान महसूस हो सकती है। ऐसा होने के पीछे कारण शरीर में प्रोटीन की कमी का होना होता है। हमारे शरीर में समय के साथ साथ प्रोटीन की कमी से मांसपेशिया भी कमजोर होती जाती है, जो आपके शरीर की ताकत को कम करता है, और इस कारण से आपको कमजोरी और थकान महसूस होती है।
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भूख के बढ़ जाने से
यदि आपको लगातार भूख लगती है अथवा भूख जैसा महसूस करते है तो यह प्रोटीन की कमी की और दर्शाता है। क्योकि प्रोटीन एक लघु पोषक तत्व (मैक्रोन्यूट्रिएंट) है, जो आपके पेट को लंबे समय तक भरा हुआ रखता है।
चोट में धीरे धीरे रिकवरी होने से
शरीर में कम प्रोटीन का स्तर कम होने के कारण चोट, फिलहाल हुई सर्जरी से हुआ घाव या कोई अन्य प्रकार का घाव आदि के भरने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। क्योकि नयी कोशिकाओं (New Cells) को बनने में समय लगता है, किन्तु प्रोटीन की कमी से कोशिकाओं का विकास धीमा हो जाता है, फलस्वरूप घावों को भरने में समय लगता है।
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