Heart Attack Risk: रक्त वाहिकाओं में बढ़ा कोलेस्ट्रॉल है जानलेवा, हार्ट अटैक के बढ़ जाते है चांस

अधिक मात्रा में बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल हार्ट अटैक को देता है जन्म (High Level of Cholesterol raise Heart Attack Risk:)

जब हमारी लाइफस्टाइल धीमी और खान-पान/आहार खराब होने लगता है, तब-तब हमारे दिल तक खून पहुंचाने वाली रक्त वाहिकाओं अथवा धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमा होना शुरू हो जाता है। जमा हुआ यही कोलेस्ट्रॉल धमनियों को धीरे धीरे जाम करना शुरू कर देता है। जिस से हार्ट तक खून कम पहुंचता है। और हार्ट खून के काम आने के कारण शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचाने में नाकाम हो जाता है।

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फलस्वरूप एक दिन हार्ट अटैक आने की सम्भावना बढ़ जाती है या कभी भी सडन कार्डिएक अरेस्ट (Sudden Cardiac Arrest) भी पैदा हो सकता है।  ऐसी परिस्थितियां किसी भी व्यक्ति के लिए जानलेवा हो सकती है।  इस दुनिया में लगभग लगभग 1.28 अरब लोगों को BP की समस्या है लेकिन इनमे से लगभग आधे लोगो (46%)को उनकी इस ब्लड प्रेशर वाली बीमारी का मलूम ही नहीं है।  यही वजह है की अचानक हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट आ जाता है।

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जब धमनियों या रक्त वाहिकाओं में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक बढ़ जाती है, तभी हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट हो ऐसा बिलकुल भी नहीं है।  क्योकि एक रिसर्च में बताया गया है कि धमनियों में चाहे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा ना के बराबर ही बढ़े, यह कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा के बराबर ही जिम्मेदार है ।

दिल का दौरा (Heart Attack) का खतरा
एक रिसर्च के अनुसार जिन लोगो में डायबिटीज की बीमारी और कोलेस्ट्रॉल की थोड़ी सी भी मात्रा एक साथ पायी गयी, तो यह कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा के होने से भी अधिक दिल का दौरा (Heart Attack) का खतरा पैदा कर सकती है।

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रिसर्च में आगे यह भी बताया गया कि ख़राब कोलेस्ट्रॉल (Bad Cholesterol ) और दिल का दौरा (Heart Attack) के बीच आपसी संबंध काफी गहरा है। रिसर्च में यह सलाह दी गई है कि चाहे परिस्थिति कैसी भी क्यों नहीं हो, कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवा का प्रयोग बंद नहीं करना चाहिए। लंबे समय तक ख़राब कोलेस्ट्रॉल के जमा होने से यह धमनियों में जमा होना शुरू कर देता है जो दिल का दौरा (Heart Attack) के लिए जिम्मेदार होता है।

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बंद नहीं करनी चाहिए दवा 

कई शोध में शोधकर्ताओं ने ख़राब कोलेस्ट्रॉल के कम स्तर को भी दिल का दौरा (Heart Attack) से जोड़ा है।  इसलिए शोधकर्ताओं ने यह भी सलाह दी कि दवा कभी बंद नहीं करनी चाहिए। शोधकर्ताओ ने आगे यह भी बताया की स्टेटिंस को चार परिस्थितियों में दिया जा सकता है।

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पहला – जिन लोगों को कभी न कभी दिल का दौरा (Heart Attack) आया है।

दूसरा – जिन लोगो की उम्र 40 – 50 साल से अधिक  है।

तीसरा – जिन लोगों में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक है और साथ में डायबिटीज भी है।

चौथा – जिन लोगों में एलडीएल 190mg/dL से अधिक पाया गया है।

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